जैन आगमों की रूपरेखा एवं इतिहास
जैन धर्म भगवन महावीर के उपदेशों पर आधारित है और उनकी वाणी आगम के रूप में जानी जाती है. यह सभी जानते हैं की तीर्थंकर जो उपदेश देते हैं उन्हें गणधर भगवंत संकलित एवं सुत्रवद्ध करते हैं. इन्हें आगम कहा...
View Articleक्या है महावीर स्वामी महापूजन?
क्या है महावीर स्वामी महापूजन?ज्योति कोठारी क्या है महावीर स्वामी महापूजन? यह प्रश्न मुझे कई लोग पूछ रहे हैं. अभी कुछ दिन पूर्व ही मैंने इस जैन एंड जैनिज़्म ब्लॉग में लिखा था की कोलकाता के महावीर स्वामी...
View Article150 years celebration of Mahavira Swami temple, Kolkata
150 years celebration of Mahavira Swami temple, KolkataMahavira Swami Shwetambar Jain temple is one of the oldest Jain temples in Kolkata, built by Sri Sukhlal Johri in the year 1868. There will be a...
View Articleश्री महावीर स्वामी मंदिर, कोलकाता का सार्ध शताब्दी महोत्सव
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के मानिकतल्ला में स्थित जैन मंदिरों में श्री महावीर स्वामी मंदिर का अपना एक विशिष्ट स्थान है. इस मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है और यह हज़ारों पर्यटकों को अपनी और...
View Articleमहावीर स्वामी मंदिर के कार्यक्रम में पधारनेवाले अतिथियों का परिचय
महावीर स्वामी मंदिर, कोलकाता के कार्यक्रम में पधारनेवाले अतिथियों का परिचय श्री महावीर स्वामी मंदिर, कोलकाता का सार्ध शताब्दी (१५० वर्ष) महोत्सव दिनांक २६ जनवरी से २८ जनवरी, २०१८ तक धूमधाम से मनाया जा...
View Articleकोलकाता के प्राचीन जैन मंदिर
कोलकाता के प्राचीन जैन मंदिर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता १९ वीं एवं वीसवीं सदी में जैन धर्मावलम्वियों का प्रमुख केंद्र रहा है. इस समय में यहाँ अनेकों भव्य कलात्मक जैन मंदिरों का निर्माण हुआ. मुग़ल...
View Articleमहावीर स्वामी मंदिर सार्ध शताब्दी पर मेडिकल कैम्प
महावीर स्वामी मंदिर सार्ध शताब्दी पर मेडिकल कैम्प श्री महावीर स्वामी मंदिर, कोलकाता के सार्ध शताब्दी महोत्सव (१५० वर्ष पूर्ति) के अवसर पर एक मेडिकल कैम्पभी आयोजित किया जायेगा. कोलकाता का खरतर गच्छ संघ...
View Articleबंगाल के जैन मंदिर: एक शोध परियोजना
Jain Temples in Bengal- A Research Project Our AssociatesAsiatic Society of India L D Institute Indian Museum Kolkata Ahmadabad Kolkataबंगाल के...
View Articleश्री महावीर स्वामी मंदिर, कोलकाता का सार्ध शताब्दी महोत्सव सम्पन्न
श्री महावीर स्वामी मंदिर, कोलकाताका त्रिदिवसीय सार्ध शताब्दी महोत्सवअत्यंत उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। स्थानीय जनों के अतिरिक्त जयपुर, चेन्नई, अहमदाबाद, दिल्ली, होसपेट, बेंगलुरु, मुम्बई,...
View Articleजैन साधु साध्वी, जैन समाज एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
सार संक्षेप: मात्र कुछ हज़ार समर्पित प्रचारकों के सहारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देश के सांस्कृतिक और राजनैतिक पटल को बदल सकता है तो फिर १५ हजार त्यागी, तपस्वी, विद्वान, पैदल विहारी जैन साधु...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 1
लेखक: ज्योति कुमार कोठारी महान विद्वान खरतर गच्छीय महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि ने साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व सम्वत १६१८ (ई. सन 1561) में परमात्म भक्ति स्वरुप सतरह भेदी पूजा की रचना की. श्री साधुकीर्ति...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 2
अनुवादक : ज्योति कुमार कोठारी सतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग १ में पहली न्हवण पूजा का अर्थ प्रकाशित किया था, अब इसी क्रम में भाग २ के अंतर्गत दूसरी विलेपन एवं तीसरी...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 3
अथ चतुर्थ वासक्षेप पूजा[राग - गोडी में दोहा]पूज चतुर्थी इणि परें, सुमति वधारे वास IIकुमति कुगति दूरे हरे, दहे मोह दल पास II १ IIअर्थ: वासक्षेप अर्थात सुगन्धित द्रव्य की यह चौथी पूजा सुमति अर्थात...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 4
अथ छट्ठी मालारोहण पूजा[राग - आशावरी में दूहा]छट्ठी पूजा ए छती, महा सुरभि पुफमाल IIगुण गूंथी थापे गले, जेम टले दुखजाल II १ IIअत्यंत सुगन्धित पुष्पों की माला की यह छठी पूजा है. ये पुष्पमाला जैसे गुणों...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 5
अथ अष्ठम गंधवटी पूजा (प्रक्षिप्त) [दूहा राग-सोरठ]सोरठ राग सुहामणी, मुखें न मेली जाय IIज्युं ज्युं रात गलंतियां, त्यूं त्यूं मीठी थाय II १ IIसोरठ थारां देश में, गढ़ां बड़ो गिरनार IIनित उठ यादव वांदस्यां,...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 6
अथ दशमी आभरण पूजा[राग-केदार में दूहा]शिर सोहे जिनवर तणे, रयण मुकुट झलकंत IIतिलक भाल अंगद भुजा, श्रवण कुंडल अतिकंत II १ II दशमी पूजा आभरण, रचना यथा अनेक IIसुरपति प्रभु अंगे रचे, तिम श्रावक सुविवेक II २...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 7
अथ द्वादस पुष्पवर्षा पूजा[दूहा-मल्हार]वरषै बारमी पूज में, कुसुम बादलिया फूल IIहरण ताप सवि लोक को, जानु समा बहु मूल II १ IIयह बारहवीं पुष्पवर्षा पूजा है. जगत के सभी ताप को दूर करने के लिए फूल बादल बन...
View Articleसतरह भेदी पूजा का अर्थ (महोपाध्याय श्री साधुकीर्ति गणि कृत) भाग 8
अथ चतुर्दश धूप पूजा[दूहा]गंधवटी मृगमद अगर, सेल्हारस घनसार IIधरि प्रभु आगल धूपणा, चउदमि अरचा सार II १ IIगंधवटी, कस्तूरी, अगर, शिलारस, और कपूर-बरास से निर्मित धुप प्रभु के सन्मुख रख कर (अग्र पूजा) की...
View Articleভগবান মহাবীর ও বাংলায় জৈন ধর্ম
ভগবান মহাবীর"জগৎ জুড়িয়া এক জাতি আছে, সে জাতির নাম মানুষ জাতি।এক ই পৃথিবীর অন্নে লালিত, এক ই রবি শশী মোদের সাথী"বাংলা ভাষার এইটি একটি প্রসিদ্ধ কবিতা। ভগবান মহাবীর কিন্তু আর ও আগে চলে গিয়েছিলেন। তিনি...
View Articleजैन धर्म में पुद्गल का स्वरुप
जैन धर्म में पुद्गल का स्वरुप पुद्गल शब्द का अर्थ पुद्गल शब्द दो शदों से मिलकर बना है. पुत और गल. यहाँ पूत शब्द का अर्थ मिलना और गल का अर्थ बिखरना या बिछुड़ना है. अर्थात जो मिलता और बिछुड़ता है उसे...
View Articleजैन धर्म में अरिहंत का स्वरुप
जैन धर्म में अरिहंत का स्वरुप ज्योति कोठारीअरिहंत जैन मान्यतानुसार विश्व ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च सत्ता है. व्युत्पत्तिगत रूप से अरिहंत शब्द के तीन रूप हैं - अरिहंत, अर्हन्त, अरुहन्त। नवकार मन्त्र के...
View ArticleTravel Kolkata: Parasnath Jain Temple (Glass temple)
Travel Kolkata: Parasnath Jain Temple (Glass temple): West BengalPrincipal Deity, Parasnath Jain Temple KolkataSri Sheetalnath Swami, The Tenth Jain Teerthankara at Parasnath temple, KolkataParasnath...
View Articleजैन धर्म का संक्षिप इतिहास
जैन धर्म के तीर्थंकर जैन धर्म विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक है. जैन आगमों के अनुसार यह एक शाश्वत धर्म है अर्थात यह सदा से रहा है. वर्त्तमान अवसर्पिणी काल में प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव आदिनाथ ने...
View Articleजैन धर्म में ऐसे क्या रीति रिवाज़ है जो और धर्मो से अलग है?
जैन धर्म में कुछ ये रिवाज हैं जो प्रायः अन्य धर्मों में नहीं पाए जाते.१. रात्री भोजन का निषेध२. जमीकंद जैसे आलू, प्याज, लहसन, गाजर, मूली आदि खाने का निषेध। इसमें से अन्य धर्मों में भी सिर्फ प्याज,...
View Articleজৈন ধর্মের নবকার মন্ত্র এবং অন্য সূত্র
জৈন ধর্মের নবকার মন্ত্রনমো অরিহন্তাণং,নমো সিদ্ধাণং, নমো আয়রিয়াণং, নমো উবজ্ঝাযাণং, নমো লোএ সব্ব সাহুণং,এসো পঞ্চ নমুক্কারো, সব্ব পাবপ্পনাসনো,মঙ্গলাণং চ সব্বেসিং, পঢমং হবই মঙ্গলং।প্রণিপাত সূত্র ইচ্ছামি...
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